izhaar - a confession story |
मोहब्बत होने लगी है तुझसे ,,,,
अब कैसे मैं इज़हार करुं ,,,,
आँखों में तेरी तस्वीर लिए ,,,,
खुद से ही मैं सवाल करुं ,,,,
ख़्वाबों को तेरी अब ,,,,
मैं दिल से लगाने लगा हुं ,,,,
तेरी आदत सी होने लगी है ,,,,
ख़ुद की मैं भुलाने लगा हूं ,,,,
नहीं हूं क़रीब तेरे ,,,,
ना जानें क्यों तेरी खुश्बू सताने लगी है ,,,,
तनु ,,,, तू आग है ,,,,
दूर हूं तुझसे ,,,,,
पर तेरी दूरी भी अब ,,,,
मुझे जलाने लगी है ,,,,
नैनों के पलको पर ,,,,
हर रात तुझसे मुलाक़ात हो हिं जाती है ,,,,
प्यार के समंदर में डुबकी लगाकर ,,,,
मेरी जां ,,,,
नियत मेरी थोड़ी खराब हो जाती है ,,,,
गर कुछ कहना चाहूं ,,,,
तो हर बार ,,,, मैं तुझसे यही कहूंगा ,,,,
I LOVE UH MERI JAAN ......
इक मौका तो दे ,,,,
तेरे सपनों को अपना बना ,,,,
तेरी क़यामत तक ,,,,
तेरे साथ चलूंगा ,,,,
इस कश्मकश की घड़ी में ,,,,,
अब ,,,, हर रोज़ मैं खुद से सवाल करुं ,,,,,
मोहब्बत होने लगी है तुझसे ,,,,,
मेरी जां ,,,,, तुहि बता ,,,,,
इस मोहब्बत का मैं कैसे ,,,,
तुझसे इज़हार करुं ,,,,,
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