motivational poem hindi |
जो दिन को रात कहता....
रात को बना देता दिन.....
धरती को आसमां पुकारता.....
आसमां को कहता जमीन....
जो लहर को प्यार बतलाता....
प्यार को कभी कहता एहसान.....
अँधेरा को चमन कहता....
उजाला को बना देता सैतान....
जो समंदर को कुआँ कहता......गागर को कहता सागर....
जो समंदर को कुआँ कहता......गागर को कहता सागर....
मानव को दानव कहता....
दानव को समझता इंसान....
जो इंतज़ार को आंधी कहता....
तूफ़ा को कहता करार....
फूल को घाटी कहता.....
हिमालय को बना देता खार.....
जो जल को आग कहता....
आग को कहता कोमल.....
पंडित को पाखंडी कहता.....
खंडित को कहता गुलशन.....
जो अज्ञानी को पुजारी मानता....
दानी को कहता पागल....
भगवान् को नासमझ कहता....
बच्चो को कहता जवान....
अफ़सोस इस बात का है.....
सबकुछ जानते हुए हम भी उसी राह पर चलते है....
हाय बुराई तेरा भला हो.....
बना देता तू भी लाश को महान.....
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