coronavirus india pandemic corona warriors hindi poem |
शुक्र कर रब का......
तू अपने घर में है......
पूछ उससे जो अटका सफर में है.....
यहाँ बाप की शकल नहीं देखी......
आखिरी वक़्त में कुछ बेटों ने......
बेटा अस्पताल में और बाप कब्र में है.....
तेरे घर में रासन है साल भर का.....
तू उसका सोच......
जो दो वक़्त की रोटी के फ़िक्र में है.....
तुम्हे किस बात की जल्दी है.....
गाड़ी में घूमने की......
अब तो सारी क़ायनात ही सब्र में है....
गर अब भी ना सुधरे तो......
तू अनपढ़.......जाहिल.....किस भ्रम में है.....
जिसपर किसी की ना चलती....
वो कुदरत आज अलग ही रंग में है.....
मौका है.......सुधर जाओ......
जो एक बार ये रंगीन हुई......
तो तुम्हारी बर्बादी......
तुम्हारे अपने ही कर्मों के फल में है......
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