Latest Love Shayari Hindi |
जलता हुआ मै....
अस्को से भुज रहा हूँ....
अस्को से भुज रहा हूँ....
नासार थे जिसके.....
घायल होकर भी....
उसी राह पर चल रहा हूँ.....
मोम की बाती की तरह पिघल रहा हूँ.....
ख़त्म होने की कगार पर हूँ....
और उतना ही ज़्यादा जल रहा हूँ....
बार बार....हर बार...
आँखों में अपनी... उस पल को देख रहा हूँ.....
क़यामत से भरे उस लम्हे को....
कटी पतंग की तरह.....
कभी इस दिशा तो कभी उस दिशा...
एक तोहफे ही तरह... सब की हाथो में देख रहा हूँ.....
हिफ़ाज़त से रखा था सपने को जिसके...
आज उनकी ही दरिद्र चिंतन के अनुकूल....
स्वयं को कहि दुर.........
बंद कमरे में देख रहा हूँ.......
के जलता हुआ मैं उस कमरे में....
अपने की अस्को से बुझ रहा हूँ...
के जलता हुआ मैं.....
अस्को से बुझ रहा हूँ.......